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Tuesday, July 20, 2010

दर्द

पूरी दुनियां में
जैसे उस वक्त रात थी
वह अपनी दोनों
खाली कलाइयों को
एकटक देखती है
और फ़िर सामने पड़ी
चूड़ियों को ....

तभी
वक्त आहिस्ता से
दरवाज़ा खोल बाहर आया
कहने लगा ....
नचनिया सिर्फ़ भरे हुए
बटुवे को देखतीं हैं
कलाइयों को नहीं...

दर्द ने करवट बदली
और आंखों के रस्ते
चुपचाप ....
बाहर चला गया ....!!

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