एक छोटी सी चिड़िया
प्यारी सी मासूम सी चिड़िया
कल शाम फिर मेरे अंगने में आई
उस अमरुद के पेड़ के नीचे
जहाँ वो मुझसे बातें किया करती थी
कुछ खट्टी कुछ मीठी बोला करती थी
मेरे शाम की तन्हाई की साथी हुआ करती थी
जो कल तक मेरे घर को गुलजार किया करती थी
ना जाने आज किस ख्यालों में गुम थी
ना सुनी मैंने आज उसकी चहक
आसमां भी गुम था उसके साथ
ना कोई शोर ना कोई कोतुहल
तभी दरवाजे पे दस्तक हुई
उड़ गयी चिड़िया
कल आने का वादा करके
मेरे अंतर्मन को शुन्य कर के
आखिर क्यों चुप थी मेरी चिड़िया आज..!!
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